Skip to main content

बुंदेलखंड के बांदा में सरकारी आतंक चालू है

यूपी में सरकारी आतंक यानी पुलिस का आतंक अपने शबाब पर है

इस साल यूपी। के बुंदेलखंड में बालू की 9 खदानों का पट्टा हुआ है जिसमें से 2 खदान सादी मदनपुर में हैं 25 जनुवरी 2018 को सादी मदनपुर की खदान चालू हुई है 2013 से 216 तक चलने वाली खदान की वजह से laumar से चिल्ला तक का 3 किलोमीटर की दूरी की सड़क पूरी तरह से ध्वस्त हो गई थी उस सड़क को बने हुए अभी 8 महीना भी नहीं हुआ कि खदान दोबारा से शुरू हो गई और इस बार भी खदान के लिए laumar का रास्ता दिया गया है जिसकी वजह से गांव वालों ने ट्रकों का रास्ता रोक दिया चिल्ला थाने के एसएचओ सहित एसडीएम पैलानी की अगुवाई में गांव वालों 4 घंटे की मोहलत डी गई की वो रात छोड़ें अन्यथा उंपर कठोर कार्रवाई की जाएगी गांव वाले डर कर रास्ता छोड़ दिए फिर सरकार के पुलिस वाले गुंडे 7 लड़कों पर डकैती का मुकदमा कायम कर दिया और अब सड़क कि हालात ऐसी होगी है की पैदल चलना भी मुश्किल होगया है 
देखें सड़क
में पुलिस वाले गुंडे रोज़ आते हैं गांव वालों को धमकी देते हैं कि अगर किसी। ने कोई शिकायत कि तो जेल में डाल देंगे
अब एक खदान क्या कम थी जो दूसरी भी चालू हो गई है और उसके ट्रक तो गांव के अंदर से निकालते हैं जहां कभी भी हादसा हो सकता है पुलिस और एसडीएम पैलानी का कहना है ट्रक तो यहीं से निकलेंगे चाहे कोई मरेे या जीए यानी laumar के ग्रामवासी आगे जाएं तो रास्ता बंद है दाएं जाएं तो रास्ता बंद है बाएं जाएं तो रास्ता बंद है और अगर पीछे जाएं तो रास्ता बंद है आखिर जाएं तो कहां जाएं पुलिस और एसडीएम से कहा गया कि साहब गांव के अंदर से ट्रक ना निकालिए छोटे छोटे बच्चे है खेलते रहते हैं कहीं कोई ऐक्सिडेंट ना हो जाए मगर चिल्ला थाने के एस ओ साहब कहते हैं कि खदान का रास्ता laumar से ही पास हुआ गई इसलिए ट्रक यहीं से निकलेंगे यानी laumar वाले अब ना तो खेत जासकताहैं ना तो चिल्ला जा सकते हैं ना तो बच्चे स्कूल जा सकते हैं यानी पूरे कैदी बनकर रहना पड़ेगा 5 साल तक 
वीडियो देखें 

एसडीएम और एसओ मोराम माफिया के साथ मिलकर आतंक मचा रखा है गांव वालों की कोई सुनवाई नहीं हो रही है
मैंने प्रधान मंत्री को 2 बार शिकायत कि है मगर हर बार चिल्ला एसओ रिपोर्ट लगा देता है कि ये सब झूठ बोल रहे है सवाल ये उठता है कि जब प्रधान मंत्री के यहां कोई सुनवाई नहीं होती है तब फिर कहां होगी
अंधेर नगरी चौपट राजा की उपाधि प्राप्त हो सकती है इस सरकार को जहां एक एसओ पूरी सरकार पर भारी पड़ रहा हो वहां का तो भगवान ही मालिक है
अब सवाल ये उठता है कि आगे क्या होगा क्या ये खदान बंद होगी या फिर एसओ और एसडीएम पैलानी का ट्रांसफर होगा 
अब अगला हिस्सा 19 मार्च को पढ़ें जब पीएम का जवाब आएगा
धन्यवाद

Comments

Popular posts from this blog

जानिए बिहार और बंगाल में दंगों कि असली वजह

जानिए बिहार और बंगाल में दंगे क्यों हुए असली वजह है ये नारे और गाने जो डीजे पर बजाए गए ये दंगे सुनियोजित थे पहले प्लान किया गया उसके बाद बीजेपी और वीएचपी के गुंडों ने मिलकर तबाही मचाई ये खुद ही दंगा करते हैं और मुसलमानों पर इलज़ाम लगाते हैं रोहित सरदाना जैसे कुत्ते इन हरामियों का साथ देते हैं नीतीश को ये सब पहले से मालूम था मगर उसने ये दंगे रोकने के लिए कोई ठोस कार्रवाई नहीं कि इसकी क्या वजह थी कहीं बीजेपी या आरएसएस का दबाव तो नहीं था वरना क्या वजह थी कि सब कुछ जानने के बा वजूद दंगे रोकने की कोशिश नहीं की गई रिपोर्ट के अनुसार ट्रक में भरकर तलवारें लाई गईं और बाद में इन तलवारों को जन जन तक पहुंचाया गया इसकी भी जांच होनी चाहिए ये तलवारें कहां से आई इनकी फंडिंग किसने की और जब तलवारें बांटी जा रही थी तब क्या पुलिस प्रशाशन सोया हुआ था या फिर उन्हें सोनेंके लिए मजबूर किया गया था पीएम मोदी का एक इतिहास है 2002 के गुजरात के दंगे जिसमें खुद मोदी ने गुंडों को ढील दी थी मुसलमानों का कतल करने के लिए कहीं वहीं पैटर्न बिहार में तो नहीं आजमाया जा रहा है अगर ऐसा है तो समझो भारत को बर्मा बनाया ज

मदरसों को बदनाम करने की एक और साज़िश

मुसलमान की हालत जार कि नई किश्त बांदा में मौजूद जामिया अरबिया हथौड़ा को चुकानी पड़ी दहशतगर्दी के खिलाफ कार्रवाई के नाम पर जामिया अरबिया हथौड़ा में नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी टूट पड़ी बांदा और आस पास के इलाकों में ना सिर्फ मुसलमान बल्कि गैर मुस्लिम भी इससे मुतशिर है और गैर मुस्लिमो पर भी इसका असर है सायाद यही वजह है कि एनआईए ने हथौड़ा में हथौड़ा बरसाने का पक्का इरादा कर लिया है ये बात तो बिल्कुल तै है कि मदरसे में छापा मारी की पटकथा राजधानी में बैठकर लिखी गई है और कुछ हद तक इसमें बृजेश प्रजापति विधायक तिंदवारी का भी हांथ है और ये बात भी तै है कि हुकूमत को भी अहसास है कि इस मदरसे में छापा मारी से देश भर में गलत पैग़ाम जाएगा इसलिए उसने कश्मीरी दहशतगर्दी का सहारा लेकर छपा मारी की ताकि उनके पास मदरसे को बदनाम करने का सेटिफिएकेट मिल जाए ये छापा किसी अतंकवादी के खिलाफ कार्रवाई से ज्यादा खुद ही आतंकवाद फैलाने के लिए की गई  ताकि मुसलमानों के अंदर दा और खौफ पैदा किया जाए अगर आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई करनी होती तो ये काम मौलाना मुजीब से बात करके के भी किया का सकता था छापा मारने कि जरूरत नहीं थी

डरा सहमा भारत और भगवा आतंकवाद

भारतीय मुसलमान खतरे में उसकी बेटी खतरे में उसकी इज्जत खतरे में उसका माल खतरे में उसका घर और दुकान खतरे में किसी आह के लिये दूर तलक मत जाना शाहज़ादी कहीं जंगल में भटक मत जाना ये आसिफा है जिसे जंगल में अकेला पाकर राम का नाम लेकर एक मंदिर में पहले उसका। बलात्कार किया फिर उसे मार डाला इम्तिहान लेंगे यहाँ सब्र का दुनिया वाले मेरी आँखों ! कहीं ऐसे में चलक मत जाना जिंदा रहना है तो सड़कों पे निकलना होगा घर के बोसीदा किवाड़ों से चिपक मत जाना कैंचियां ढ़ूंढ़ती फिरती हैं बदन खुश्बू का खारे सेहरा कहीं भूले से महक मत जाना दिसंबर  2012 में निर्भया के बलात्कार खबर आ यी थी देखते ही देखते पूरे देश की लड़कियां हंथों में मोमबत्ती लेकर दिल्ली की सड़कों पर निकल पड़ी थीं रायसीना हिल को इन लड़कियों ने चारों तरफ से घेर लिया था सरकार सदमें में थी कि करें तो क्या करें सरकार ने तबड़ तोड़ कानून में बदलाव किया और सारे अपराधी पकड़े गए  लेकिन 10 जनवरी को जम्मू के कठुआ से 8 साल की आषीफा को अगवा किया जाता है उसे एक मंदिर में लाकर बे होसी का इंजेक्शन दिया जाता है फिर उसके बाद आरोपी उसका ब

जानिए एससी एसटी एक्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने क्यों दिया बदलाव का आदेश

एससी/एसटी एक्ट क्रो कथित तौर पर शिथिल किए जाने के सुप्रीम कोर्ट के जिंस आदेश को लेकर सोमवार को पूरा देश जल उठा, वह पुणे के एक इंजीनियरिग कॉलेज में स्टोर कीपर का काम करने वाले दलित भास्कर गायकवाड़ कीयाचिका पर दिया गया था. गायकवाड़ पुणे में कॉलेज आँफ इंजीनियरिग में स्टोर कीपर हैं और उन्होंने 201 1 में अपने तीन उच्च अधिकारियों के खिलाफ केस दर्ज करवाया था. गायकवाड़ ने आरोप लगाया था कि तीनों उच्च अधिकारी उन्हें प्रताड़ित करते हैँ. दर असल गायकवाड़ का आरोप है कि उनके तीन वरिष्ठ अधिकारियों… किशोर ब्रुराडे, सतीश भीस्ने ओर सुभाष महाजन… ने 2009 में विभाग में भ्रष्टाचार क्रिया था और गायकवाड़ को इसका पता लग गया था. इसके बाद तीनों अधिकारी गायकवाड़ पर भ्रष्टाचार को बात छिपाने का दबाव बनाने लगे. लेकिन गायकवाड़ ने जब उनका भ्रष्टाचार छिपाने में मदद देने से मना कर दिया तो वे गायकवाड़ क्रो प्रताडित करने लगे. आखिरकार अधिकारियों की प्रताड़ना से तंग आकर गायकवाड़ ने 2011 में दलित एट्रोसिटीज एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज करवाया. इसके बाद तीनों अधिकारी गायवकवाड़ पर एफआईआर वापस लेने का दबाव बनाने लगे.