एससी/एसटी एक्ट क्रो कथित तौर पर शिथिल
किए जाने के सुप्रीम कोर्ट के जिंस आदेश को
लेकर सोमवार को पूरा देश जल उठा, वह पुणे
के एक इंजीनियरिग कॉलेज में स्टोर कीपर का काम करने वाले दलित भास्कर गायकवाड़ कीयाचिका पर दिया गया था.
गायकवाड़ पुणे में कॉलेज आँफ इंजीनियरिग में
स्टोर कीपर हैं और उन्होंने 201 1 में अपने तीन
उच्च अधिकारियों के खिलाफ केस दर्ज करवाया
था. गायकवाड़ ने आरोप लगाया था कि तीनों
उच्च अधिकारी उन्हें प्रताड़ित करते हैँ.
दर असल गायकवाड़ का आरोप है कि उनके
तीन वरिष्ठ अधिकारियों… किशोर ब्रुराडे, सतीश
भीस्ने ओर सुभाष महाजन… ने 2009 में विभाग
में भ्रष्टाचार क्रिया था और गायकवाड़ को इसका
पता लग गया था. इसके बाद तीनों अधिकारी
गायकवाड़ पर भ्रष्टाचार को बात छिपाने का
दबाव बनाने लगे.
लेकिन गायकवाड़ ने जब उनका भ्रष्टाचार
छिपाने में मदद देने से मना कर दिया तो वे
गायकवाड़ क्रो प्रताडित करने लगे. आखिरकार
अधिकारियों की प्रताड़ना से तंग आकर
गायकवाड़ ने 2011 में दलित एट्रोसिटीज एक्ट
के तहत एफआईआर दर्ज करवाया.
इसके बाद तीनों अधिकारी गायवकवाड़ पर एफआईआर वापस लेने का दबाव बनाने लगे.
गायकवाड़ का आरोप है कि 20,11 से 20,16 तक पुलिस
भी अधिकारियों का ही साथ देती रही. इसलिए गायकवाड़ ने 2016 में दोबारा उनके खिलाफ केस दर्ज करवाया.
अबकी बार तीनों अधिकारियों ने गिरफ्तारी से
बचने के लिए हाईकोर्ट की शरण ली. लेकिन
हाईकोर्ट ने अधिकारियों की याचिका खारिज
कर दी इसके बाद आरोप्री अधिकारियों में से
सुभाष महाजन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर
कर गायकवाड़ पर दलित एट्रोसिटीज एक्ट के दुरुपयोग का आरोप लगा दिया
सुभाष महाजन की इसी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने 20 मार्च को जांच अधिकारी को आदेश दिया
कि दलित एट्रोसिटीज ऐक्ट के तहत एफआईआर दर्ज
करने से पहले तफ्तीश की जाए और प्रारंभिक
जांच में शिकायत वाजिब पाए जाने के बाद ही
एफआईआर दर्ज की जाए सुप्रीम कोर्ट ने साथ
ही दलित एट्रोसिटीज ऐक्ट में बदलाव की बात
भी कही
सुप्रीम कोर्ट के इसी आदेश के खिलाफ सोमवार
को दलित संगठनों ने देशव्यापी बंद का आह्वान
किया था. हालांकि दलितों का यह भारत बंद
हिंसक हो गया
किए जाने के सुप्रीम कोर्ट के जिंस आदेश को
लेकर सोमवार को पूरा देश जल उठा, वह पुणे
के एक इंजीनियरिग कॉलेज में स्टोर कीपर का काम करने वाले दलित भास्कर गायकवाड़ कीयाचिका पर दिया गया था.
गायकवाड़ पुणे में कॉलेज आँफ इंजीनियरिग में
स्टोर कीपर हैं और उन्होंने 201 1 में अपने तीन
उच्च अधिकारियों के खिलाफ केस दर्ज करवाया
था. गायकवाड़ ने आरोप लगाया था कि तीनों
उच्च अधिकारी उन्हें प्रताड़ित करते हैँ.
दर असल गायकवाड़ का आरोप है कि उनके
तीन वरिष्ठ अधिकारियों… किशोर ब्रुराडे, सतीश
भीस्ने ओर सुभाष महाजन… ने 2009 में विभाग
में भ्रष्टाचार क्रिया था और गायकवाड़ को इसका
पता लग गया था. इसके बाद तीनों अधिकारी
गायकवाड़ पर भ्रष्टाचार को बात छिपाने का
दबाव बनाने लगे.
लेकिन गायकवाड़ ने जब उनका भ्रष्टाचार
छिपाने में मदद देने से मना कर दिया तो वे
गायकवाड़ क्रो प्रताडित करने लगे. आखिरकार
अधिकारियों की प्रताड़ना से तंग आकर
गायकवाड़ ने 2011 में दलित एट्रोसिटीज एक्ट
के तहत एफआईआर दर्ज करवाया.
इसके बाद तीनों अधिकारी गायवकवाड़ पर एफआईआर वापस लेने का दबाव बनाने लगे.
गायकवाड़ का आरोप है कि 20,11 से 20,16 तक पुलिस
भी अधिकारियों का ही साथ देती रही. इसलिए गायकवाड़ ने 2016 में दोबारा उनके खिलाफ केस दर्ज करवाया.
अबकी बार तीनों अधिकारियों ने गिरफ्तारी से
बचने के लिए हाईकोर्ट की शरण ली. लेकिन
हाईकोर्ट ने अधिकारियों की याचिका खारिज
कर दी इसके बाद आरोप्री अधिकारियों में से
सुभाष महाजन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर
कर गायकवाड़ पर दलित एट्रोसिटीज एक्ट के दुरुपयोग का आरोप लगा दिया
सुभाष महाजन की इसी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने 20 मार्च को जांच अधिकारी को आदेश दिया
कि दलित एट्रोसिटीज ऐक्ट के तहत एफआईआर दर्ज
करने से पहले तफ्तीश की जाए और प्रारंभिक
जांच में शिकायत वाजिब पाए जाने के बाद ही
एफआईआर दर्ज की जाए सुप्रीम कोर्ट ने साथ
ही दलित एट्रोसिटीज ऐक्ट में बदलाव की बात
भी कही
सुप्रीम कोर्ट के इसी आदेश के खिलाफ सोमवार
को दलित संगठनों ने देशव्यापी बंद का आह्वान
किया था. हालांकि दलितों का यह भारत बंद
हिंसक हो गया
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